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अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन कराया

मंडला(मप्र)।

अंतर्राष्ट्रीय काव्य परिषद कर्नाटक इकाई के सौजन्य से ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी २६ जनवरी को आयोजित की गई। इसमें मंडला के सुपरिचित कवि-लेखक प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे की विशेष भूमिका रही।
मनीषा नाडगौडा की सुमधुर प्रार्थना से कार्यक्रम का आरंभ हुआ। कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार परीट ने अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। विद्यालयीन बच्चों ने देशभक्ति की रचनाएँ प्रस्तुत की। महाराष्ट्र के डॉ. धन्यकुमार बिराजदार ने गणतंत्र दिवस के इतिहास पर प्रकाश डाला तो मुख्य अतिथि डॉ. जैन संघवी,पृथ्वीराज मेहता ने गणतंत्र दिवस के महत्व पर शायराना अंदाज में उद्बोधन दिया।
कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कवि व भारत के श्रेष्ठ साहित्यकारों ने देशभक्ति पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। लंदन से इंदु बारौठ,नेपाल से जयप्रकाश अग्रवाल,ऑस्ट्रेलिया से नेहा शर्मा,अमेरिका से डॉ. शशि गुप्ता,भारत से सुशील सरित,कर्नाटक से ज्ञानचंद मर्मज्ञ,प्रो. खरे(मप्र) व संजय जैन(महाराष्ट्र) आदि सभी प्रतिभागी कवियों की रचनाएं इतनी अद्भुत थी कि,श्रोतागण मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहे,देखते रहे।
अध्यक्षीय उद्बोधन में हृदयनारायण मिश्रा(राष्ट्रीय अध्यक्ष-अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद)ने कहा कि भारत को आजादी और भारत का संविधान प्राप्त होने में बहुत सारा बलिदान देना पड़ा हैऔर इस बलिदान में हिंदी भाषा भी एक है,पर अब स्थिति बदल गई है। अब हिंदी एक मातृभाषा न रहकर, एक राष्ट्रभाषा न रहकर एक अंतरराष्ट्रीय भाषा बन गई है।
सम्मेलन में प्रो. खरे के राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत मुक्तक बेहद सराहे गए-ख़ूब खिलता रहे,ये चमन जो मेरा,पाऊँ जब जन्म मैं,ये वतन हो मेरा। यह ही चाहत,यही भाव अंतर मेरे-तीन रंगों से निर्मित कफ़न हो मेरा॥
डॉ. परीट ने सभी प्रतिभागियों को सम्मान-पत्र से सम्मानित किया। सुचारु संचालन डॉ. वसुधा कामत ने किया। डॉ. मलकप्पा अलियास महेश ने सभी का आभार प्रकट किया।

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