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भारतीय संस्कृति

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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भारत नित ही विश्वगुरू है,देता सबको ज्ञान,
भारत ने पाया सदा,सबसे ही सम्मान।
नीति और नैतिकता मोहक,हम हैं सबसे सुंदर-
कला और विज्ञान हमारे,पाते नित यशगान॥

मानवता को हमने जाना,किया प्रेम का गान,
करुणा,दया,सत्य,मर्यादा,सद्कर्मों की आन।
पूजा हमने चाल-चलन को,सीखा रहना बेहतर-
देह नहीं, है रूह की भाषा, नैतिकता का मान॥

तीज और त्यौहारों से तो,चोखा लगे जहान,
नारी ने निज पातिव्रत से,गाया मंगलगान।
यहाँ विचारों में धन-दौलत,है गुरुओं की महिमा-
संस्कृति भारत की शोभित है,करे विश्व गुणगान॥

पत्थर को भी पूजा हमने,कण-कण में भगवान,
हर नारी तो पूज्य यहाँ है, शुचिता का सम्मान।
भूखे को हम रोटी देते,प्यासे को नित नीर-
त्याग,समर्पण,दान,पुण्य का,यहाँ गूँजता गान॥

मेलमिलापों की बेला है,हाथों में तो जान,
विविध वेशभूषा,धर्मों का,सुखकर नवल विहान।
गंगा-यमुना,हिमगिरि में भी,परम शक्तियाँ रहतीं-
लोककलाएँ मुस्काती हैं,अलबेली है शान॥

ईद-दिवाली,क्रिसमस पर हम,मिलकर गाते गान,
मंदिर,मस्जिद,चर्च सिखाते,बन जाना इंसान।
पूरब-पश्चिम,उत्तर-दक्षिण,भारत का उत्थान-
संस्कृति पाई है जो हमने,करते हम अभिमान॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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