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अटूट जिज्ञासा

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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झुग्गी-झोपड़ी में पलती जो
एक होनहार बेटी,
मात-पिता की सोच
बड़ी ही उच्चस्थ,
प्रतिभा से संलिप्त और संचित
बेटी तू भारत भूमि की,
बेटी हो वीर पराक्रम शौर्य सौम्यणी।

माता-पिता की खुली दीप प्रभा से,
आलोकित होती हूँ
उनकी कठिन मेहनतकश
जिंदगी में शामिल हो,
बेटी के सौन्दर्य-रूप से प्रखरित होती उत्कृष्ट विद्या,
ज्वलंत ज्ञानेज्ञ स्पर्धा
दिव्य ज्योतिपुंज
अग्रसर हो ‘विद्या ददाति विनयम’ की दीर्घमयी आशा में।

झुग्गी-झोपड़ी का तिमिर,
शमा से उम्मीद की एक
लौ धधक रही है
विद्या दीप प्रतिभा से
कठिन विद्याध्यन में,
इसमें कोई अतिश्योक्ति ही नहीं
ललाट पर वो चमक है,
परिश्रमी और सदृढ़ निश्चय
स्वाभिमान परिवेश में।

उच्चत्तर शिक्षा के संदर्भ में, बिना हिचक के
बुद्धिमता की कमी नहीं,
जोश-खरोश में वही उम्मीद
छू छू आकाश को,
अपने अथक प्रयास व
लगन से उछलकर सच,
झुग्गी-झोपड़ी की बेटी।

अपनी दिव्य दृष्टि से,
खोज रही तनमन्यता से
एक दीप जला दूँ,
अपने पूर्वजों के नाम।
इसी निर्भय आस्था और
‘अटूट जिज्ञासा’ के
संतप्त प्रगट संभावी प्रभावों से॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।