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अधिकांश कविताएं आम पाठकों के लिए पठनीय-प्रो. खरे

मंडला(मप्र)।

रेखा भारती मिश्रा के भीतर दृढ़ निश्चय,आत्मविश्वास और समाज की विसंगतियों को करीब से महसूस करने की अद्भुत क्षमता है। इसलिए जीवन के विविध रंग उनकी कविताओं में कैद हो गई है। यह संतोषजनक स्थिति है कि अधिकांश कविताओं में छंद के प्रति उनका गहरा लगाव रहा है। इस कारण ही इस संग्रह की अधिकांश कविताएं आम पाठकों के लिए पठनीय बन पड़ी है।
युवा कवियित्री रेखा भारती मिश्रा की पुस्तक ‘इंद्रधनुष’ पर यह बात वरिष्ठ कवि प्रो.शरद नारायण खरे ने कही। संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर द्वारा भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आयोजित हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन के आरंभ में ‘पुस्तकनामा’ पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि, इस समीक्षित काव्य कृति में मुक्तछंद कविताओं के साथ-साथ रेखा भारती मिश्रा ने छंदात्मक कविताओं को भी प्रस्तुत किया है,बगैर मात्रा के गणितीय जोड़-घटाव के।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. सविता मिश्रा मागधी ने कहा कि,कविता सिर्फ शब्द नहीं होती,मन के भाव और मन की अभिव्यक्ति होती है। कवि की सरस्वती माँ के प्रति सच्ची आराधना का प्रतिफल है कविता।
दूसरी तरफ रेखा भारती मिश्रा ने कहा कि, कविता ‘वाक्य रचना का वह प्रकार है जिसमें कुछ चुने हुए शब्दों द्वारा कल्पना और मनोभावों को भावपूर्ण ढंग से कलमबद्ध किया जाता है।
इस राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में देशभर के २४ से अधिक कवियों ने अपनी हिस्सेदारी दी,जिनमें रेखा भारती मिश्रा ने-‘काम ऐसा कोई तुम करो दोस्तों, इस जहां में अमर तुम रहो दोस्तों!’ प्रियंका श्रीवास्तव शुभ्र ने-लैपटॉप ने किया कमाल,हर बच्चे अब करे धमाल!’,प्रमुख रही।
सम्मेलन में रामनारायण यादव,डॉ. मिश्रा,हरि नारायण हरि,अभिमत नारायण कौशिक,डॉ. एल एन. मिश्रा और मुरारी मधुकर सहित संतोष मालवीय,सोहेल फारुकी,नरेश सक्सेना,बृजेंद्र मिश्रा, खुशबू मिश्र,स्वास्तिका,सत्यम और अभिषेक आदि की भी भागीदारी रही।

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