अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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‘मतदान’,
पर्व अनूठा
आओ खूब मनाएँ,
छूटे नहीं
‘लोकतंत्र’।
चुनाव,
अधिकार हमारा
देश है प्यारा,
‘मतदान’ कीजिए
भविष्य।
महाकुम्भ,
चुनना बेहतर
काम ही देखना,
जात नहीं
पछताना।
प्रतीक्षा,
पाँच बरस
फिर करनी होगी,
रोज नहीं
अवसर।
तरक्की,
ध्यान रहे
लालच न करना,
स्वार्थी दल
नुकसान।
राजनीति,
मीठा जहर
भला न करती,
देश भला
चुनना।
सड़क,
बिजली, पानी
हर सुविधा चाहिए,
अवश्य जाइए
‘मतदान’।
उन्नति,
मतलब यही
राष्ट्रपति-आम समान,
विकास दिखे
प्रजातंत्र।
समानता,
बहुत जरूरी
बुरा चुनना नहीं,
रोना पड़ेगा
तानाशाही।
अभिव्यक्ति,
होनी चाहिए
जनमत ही प्रगति,
बनें साक्षी
जनतंत्र॥