डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)
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अनुपम अद्भुत चित्रकार जो, ब्रह्माण्ड जगत निर्माता है,
शैलेन्द्र नदियों से सज्जित, सागर लहरें रच जाता है।
लरज़ हरि लीला दुनिया, काल त्रिविध शक्ति दिखलाते-
हरियाली सुष्मित सुरभित भुवि, प्रकृति चारु रूप सुहाता है।
सप्तर्षि सुशोभित नभमण्डल नीलांचल वसन सुहाता है,
सतरंगी मानव जीवन जग, इन्द्रधनुष गगन इठलाता है।
कुसुमाकर अरुणिम प्रभात चहुँ कानन कुसुमित सुरभित भाते-
चित्रकार शिव सत्य सुन्दरम् आभास ईश दे जाता है।
दिव्य अनोखी अचरज लेखा तूलिका चित्र जगत बन जाता है,
अति विशाल गह्वर सर्जन जग शाश्वत अनन्त रूप दिखलाता है।
चौरासी कोटि जीवन प्राणी कुम्भकार अलौकिक रच जाते-
अगम अगोचर सदा चिरन्तन विधि चित्रकार बन जाता है।
हज़ारों जाति धर्म संस्कृतियों, चतुर्युगी इतिहास समाता है,
कालचक्र तिहुँ साक्षी अविरत पल पल अनुभूति दिलाता है।
नीति प्रीति सद् रीति न्याय रथ मानवता मूल्यक बन जाते
शक्ति- भक्ति आसक्ति सृष्टि अनुरक्ति ब्रह्म पथ जाता है।
गज़ब तूलिका चित्रकार जग, भंगिमाओं से सजाता है,
अवर्णनीय पौरुष अखिलेश्वर संजीवन जीवन्त बनाता है।
ज्ञान-विज्ञान अनुशोध प्रगति जयकार प्रभु वश यश गाते-
चारु सुशोभित धरा प्रकृति चहुँ रवि शशि तारक मुस्काता है॥
परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥