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अनोखा रिश्ता ‘पति-पत्नी’

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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पति-पत्नी,
एक बनाया गया रिश्ता
पहले कभी एक-दूसरे को देखा भी नहीं था,
फिर सारी ज़िंदगी एक-दूसरे के साथ,
पहले अपरिचित,
फिर धीरे-धीरे होता परिचय…
धीरे-धीरे होने वाला स्पर्श,
फिर,
नोक-झोंक… झगड़े …. बोलचाल बंद…
कभी जिद… कभी अहम का भाव,
फिर धीरे-धीरे बनती जाती प्रेम पुष्पों की माला
शर्त ये है कि कोई तीसरा इनके बीच कुचक्र षडयंत्र न रचे,
फिर,
एकजीवता… तृप्तता… एकरूपता जीवन की।

वैवाहिक जीवन को परिपक्व होने में समय लगता है,
धीरे-धीरे जीवन में स्वाद और मिठास आती है
ठीक वैसे ही, जैसे-अचार जैसे-जैसे पुराना होता जाता है,
उसका स्वाद बढ़ता जाता है।
पति-पत्नी एक-दूसरे को अच्छी प्रकार
जानने-समझने लगते हैं,
वृक्ष बढ़ता जाता है, बेलाएँ फूटती जातीं हैं,
फूल आते हैं, फल आते हैं…
रिश्ता और मजबूत होता जाता है।
धीरे-धीरे बिना एक-दूसरे के अच्छा ही नहीं लगता।

उम्र बढ़ती जाती है, दोनों एक-दूसरे पर
अधिक आश्रित होते जाते हैं,
एक-दूसरे के बगैर खालीपन महसूस होने लगता है
फिर धीरे-धीरे मन में एक भय का निर्माण होने लगता है,
“ये चली गईं तो, मैं कैसे जीऊँगा ?”
“ये चले गए तो, मैं कैसे जीऊँगी ?”
अपने मन में घुमड़ते इन सवालों के बीच जैसे,
खुद का स्वतंत्र अस्तित्व दोनों भूल जाते हैं।
कैसा अनोखा रिश्ता…
कौन कहाँ का…!!
एक बनाया गया रिश्ता…
पति-पत्नी…॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”