डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’
बांदीकुई (राजस्थान)
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नया सबेरा, नयी आशाएँ, नए संकल्प…
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आया है नववर्ष सभी मिल
दोषों का शमन करें।
जो छूट गया इस साल चलो
अब इस पर मनन करें॥
भूलें पिछली बातों को सब,
नव संबंध बनाएं,
भाव प्रेम का भरें हृदय में,
ईर्ष्या-द्वेष मिटाएं।
संस्कृति का सम्मान दिलों में,
कटुता का वमन करें,
जो छूट गया इस साल चलो
अब इस पर मनन करें…॥
बीत गया उसका क्या रोना,
आगे कदम बढ़ाएं
याद करें कमियों को अपनी,
उनको दूर भगाएं।
बनें विनम्र सदाचारी हम,
अहं का दमन करें,
जो छूट गया इस साल चलो
अब इस पर मनन करें…॥
क्या खोया क्या पाया हमने,
इसमें न समय गवाएं,
विदा करें अब साल पुराना,
अब नववर्ष मनाएं।
अपने शुभ कर्मों से पावन,
इस जग को चमन करें,
जो छूट गया इस साल चलो
अब इस पर मनन करें…॥
बीता समय नहीं आएगा,
बचा समय पहचानो,
सर्वसुखों की करो कामना,
जीत इसी में जानो।
गंगा-यमुना सी पावन भू,
हम इसको नमन करें,
जो छूट गया इस साल चलो
अब इस पर मनन करें…॥
‘वसुधैव कुटुंबकम्’ संस्कृति को,
हम अपनाने वाले,
होता है अतिथि देव तुल्य,
रीत निभाने वाले।
मातृभूमि की पावन रज में,
हम सुख से रमण करें,
जो छूट गया इस साल चलो
अब इस पर मनन करें…॥
विश्व शान्ति की करें कामना,
महावीर अनुयायी,
निर्बल को भी गले लगाना,
सीख राम से पायी।
श्रीकृष्ण के गीता ज्ञान को,
हम मन से श्रवण करें,
जो छूट गया इस साल चलो
अब इस पर मनन करें…॥
सत्य अहिंसा न्याय धर्म को,
हम सबने अपनाया,
संस्कृति की पावन महिमा को,
वेद शास्त्रों ने गाया।
अपना कर्म पूर्ण करके को,
हम सब गमन करें,
जो छूट गया इस साल चलो
अब इस पर मनन करें…॥
परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’