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अमर विचार हो तुम

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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आजाद भारत के बिखराव में,

एकता के बने सूत्रधार हो तुम।

फौलाद इरादों से अटल रहे हो,

लौह पुरुष सरदार हो तुमll

हृदय वल्लभ तुम,दिल झावेर का,

पटेल नाम से प्रिय बने।

जन्म नाडियाड गुजरात में लेकर,

भारत देश लोकप्रिय बने।

लाडबा देवी ने लाड़ लडाकर,

माँ का अतुलित स्नेह दिया।

सोमा,नरसी अग्रज जिनके,

भरत-सा जिनको प्रेम किया।

बचपन से परिवार के स्नेहिल,

भारत के कर्णधार हो तुम।

आजाद भारत के बिखराव में,

एकता के बने सूत्रधार हो तुम।

फौलाद इरादों से अटल रहे हो,

लौह पुरुष सरदार हो तुमll

खेड़ा-खंड जब अनावृष्टि चपेट से,

जन-जन गाफिल ग्रस्त बना।

गांधी संग नेतृत्व किया जब,

कृषक भी तब आश्वस्त बना।

स्वतंत्रता-आंदोलन की मजबूती में,

एक बड़ा योगदान किया।

पहले संघर्ष में सफलता पाकर,

देश को गौरव-मान दिया।

आजादी-बाद भी भारत देश के,

मजबूत इरादों का भंडार हो तुम।

आजाद भारत के बिखराव में,

एकता के बने सूत्रधार हो तुम।

फौलाद इरादों से अटल रहे हो,

लौह पुरुष सरदार हो तुमll

लौह पुरुष की उस क्षमता को,

शासक भी भांप नहीं पाया।

बारदौली में लीडर पटेल की,

ताकत को उसने आजमाया।

करनी से अपनी,मुँह की खा कर,

भले हो गया था वह लाल।

किसान की ताकत अगणित बढ़ गई,

शासक समझे खुद को बेहाल।

लोहा क्षमता का,तब मनवा कर,

देश भविष्य उद्धार हो तुम।

आजाद भारत के बिखराव में,

एकता के बने सूत्रधार हो तुम।

फौलाद इरादों से अटल रहे हो,

लौह पुरुष सरदार हो तुमll

मेनन को अपने साथ में लेकर,

देश एकता का भार लिया।

रजवाड़ों को प्रेरित करके,

विशाल भारत को एक किया।

बल-दबाव को परे में रखकर,

रियासतों को थोड़ा समझाया।

कहीं-कहीं पर सेना लेकर,

तिरंगा तुमने अपना लहराया।

गांधी-नेहरू के समान ही,

देश के बने शिरोधार हो तुम।

आजाद भारत के बिखराव में,

एकता के बने सूत्रधार हो तुम।

फौलाद इरादों से अटल रहे हो,

लौह पुरुष सरदार हो तुम।

उप प्रधान और गृह पद लेकर,

भारत को आकार दिया।

बचपन से जो ख्वाब था देखा,

मजबूत इरादों से साकार किया।

आस्तीन के साँपों को तुमने,

दिन में भी तारा दिखलाया।

कूटनीति से उनको अपनी,

देशभक्ति का सबक सिखलाया।

मर कर भी जो मर ना सकेगा,

ऐसा अमर विचार हो तुम।

आजाद भारत के बिखराव में,

एकता के बने सूत्रधार हो तुम।

फौलाद इरादों से अटल रहे हो,

लौह पुरुष सरदार हो तुमll

आजाद भारत के बिखराव में,

एकता के बने सूत्रधार हो तुमll

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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