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`लौह पुरूष` की गाथा

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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लौह पुरुष की गाथा तुम्हें सुनाएं-
गुजरात की पावन धरा पर
जन्मा एक वीर महान,
झावेर भाई पटेल का पूत
माता लाड़बा देवी की सन्तान,
अग्रज विट्ठल,नरसी,सोमा
का अनुज धरा पर आयाl

स्वाध्याय में बड़ा निपुण,
पाई है उत्तम शिक्षा
बैरिस्टर बन भारत लौटा,
माता-पिता का मस्तक ऊँचा
क्रांति का तूफान बन उठा,
शत्रु ने माना इसका लोहा
भारत का लौह पुरुष कहलायाl

बापू के विचारों को ध्याया,
अहिंसा का शस्त्र बन
शत्रु को इसने पछाड़ा,
सिंह बन खूब दहाड़ा
कोमलता का भाव,
चित्त में जगायाl

कर्मठता का है धनी,
वाणी में साहस भरा
गुलामी में फंसी रियासत,
हुई मुक्त नव उदित भारत
का मानचित्र है बदला।

भारत भूमि से करबद्ध प्रार्थना,
हम सब करते हैं
बार-बार जन्मे लौह पुरुष,
यह वरदान हम माँगते हैं।

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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