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अरे रामा तड़पन लागे ना…

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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फूल तोड़न गयी फुलवारी,
सावन बरसन लागे ना
कि सावन बरसन लागे ना,
सावन हमरी बैरी लागे
देख अकेली,
डराये गरजन लागे ना
अरे रामा…।

बूंदन में भंगिया असर है,
बैरन लागे कैसे खबर है
सँग नहीं मोरे संगवारी,
अरे राम दरसन लागे ना…।

तोड़ रखी चमेली मोगरा,
भर कर मोर लाली आँचरा
भीगी चोली अंगिया सारी,
अरे रामा बहकन लागे ना…।

तीज करूं और मधु श्रावनी,
मन साजन की लगी आवनी
टकी नैन लगे दुआरी,
अरे रामा तरसन लागे ना…।

खेल नहीं मन लगे झुलना,
साज श्रृंगार सखि ना ललना
मन पगला साजन वारी,
अरे रामा तड़पन लागे ना…।

सुन री मोरी प्यारी गुइयाँ,
जा तू कह री मोरी मईयाँ।
करे दे गवन तैयारी,
अरे रामा हरसन लागे ना…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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