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आई याद ठिठोली

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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तेरी आयी याद ठिठोली,
आ गयी फिर निगोड़ी होली…।

कदम्ब हो गया नीम करोली,
नींदें अपनी मैंने खो ली
यमुना की यह नीर नहीं है,
मेरी अँसुवन की है टोली।
आ गयी फिर निगोड़ी होली…

मैं विरहन थी कितनी भोली,
बोली तेरी ओ हमजोली
रचती थी हृदय में मेरे,
जैसे रंगों की रंगोली।
आ गयी फिर निगोड़ी होली…

अबीर गुलाल भंगिया गोली,
रंग-बिरंग थाल भर रोली
फूल गुलेल रंग पिचकारी,
मुझि पे डाला मेरी घोली।
आ गयी फिर निगोड़ी होली…

मीठी यादों से भर झोली,
भूला निर्दय मेरी डोली।
आकर आँसू से अपनी वह,
मेरी पग उसने है धो ली।
आ गयी फिर निगोड़ी होली…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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