संदीप धीमान
चमोली (उत्तराखंड)
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नारी के दायित्वों का
वर्णन कर न पाया कोई,
दुग्ध शिराओं के अमृत
बिन फल न पाया कोई।
पालनहार ईश्वर जग का
राम कृष्ण प्रथम पथ का,
बिन नारी, रुप ईश्वर का
पग धर न पाया कोई।
धरा भी तू, धरणी तू ही
जीवन वैतरणी तू ही,
गंगा की अमृत बूंदों-सी
श्वास तरंग तरंगणी तू ही।
गंगा, जमुना, सरस्वती
मंदाकिनी, तू नर्मदा,
काल खण्ड के पन्नों पर
नर प्यास भर न पाया कोई।
अर्ध को तू पूर्ण करें,
नर को सम्पूर्ण करें।
तेरे दायित्वों का हे नारी,
वर्णन कर न पाया कोई॥