ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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कोई तो मेरे राम को ले आओ,
मैं जिऊं तो किसके सहारे
पति-पुत्र दोनों साथ छोड़ गये,
इस पीड़ा से राम उबारे।
आओ राधव मेरे प्यारे…
कौशल्या चुप मंदिर में रोती,
जाती तीरथ हर पखवारे
करती कुलदेव मनौती व्रत- पूजन
रघुवर के बनना रखवारे।
आओ राघव मेरे प्यारे…
कोमल दुलुरूवा मेरे छौना,
नैन ज्योति वह प्राण हमारे
उसके गात कुम्हा जाएगा वन में,
कोई लौटा लाओ इस द्वारे।
आओ राघव मेरे प्यारे…
घुँघराले कुंचित केश मनोहर,
मोहनी नैन कारे-कारे
भोला-सा मुख मेरे रघुपति के,
कोटिश जग मैं जाऊँ वारे।आओ राघव मेरे प्यारे…
चौथेपन में था पाया तुमको,
नज़र लगी यह किसकी हा! रे,
मैया चोली ममता भर भीगी,
कोई तो आ नजर उतारे।
आओ राघव मेरे प्यारे…॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।