जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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जीवन में आकांक्षा होती,कुछ पाने की,
कुछ बनने बनाने की,नाम कमाने की।
सुख पाने-दु:ख ढहाने,शौक-मौज मनाने की,
पहनने सजने-संवरने की,अच्छा खाने की।
लायक नायक बनने की नर्तक या कुछ गाने की,
लोगों का मन मोहने की,या मंच पर छा जाने की।
अच्छा-खासा बनने की,या सिक्का जमाने की,
पद प्रतिष्ठा को पाने या,पैसा-धन कमाने की।
अनगिनत आकांक्षाएं,मन में क्रीड़ा करती हैं,
एक हुई पूरी जगे दूसरी,ये कभी ना मरती हैं॥