डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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७५ बरस की आजादी का अमृत और हम सपर्धा विशेष….
यह एक जनमानस का त्योहार है,
आजादी का एक अनुपम उपहार है।
सात हजार से भी ज्यादा यहाँ,
सर्वोत्तम योजनाओं की बहार है।
जनमानस की तरक्की के लिए,
एक अद्भुत ये चमत्कार है।
यह वृहद भागीदारी का एक,
नया दिखता,नव अवतार है।
नवीनता से भरपूर यहां,
जन जागरुकता का एक उन्नत व,
एक अनमोल सुन्दर संस्कार है।
नवोन्मेष प्रयोग कर जन हितैषी,
कार्यक्रमों की इसमें बौछार है।
इस महोत्सव का है एक उद्गार नया,
जन-आन्दोलन का पुरस्कार यहां।
यह उत्सव हमें आजादी है,
आज़ाद रहें और हम-सबको मिलकर,
दूसरों को आजाद करें की सीख है।
जनमानस को बन्धन से मुक्त करने का,
एक यह नवोन्मेष प्रतीक है।
बन्धन मुक्त आजादी का,
इसमें छिपा सन्देश है।
खुशियाँ बटोरने वाले लोगों,
को यह अधिकार खूब,
दिखता प्रफुल्लित निर्देश है।
मार्च २१ से प्रारंभ यह उत्सव,
हमें जन भागीदारी से अवगत कराएगा।
उत्तम उपदेश के साथ हमारे देश की,
उत्तम संस्कृति बताएगा।
७५वीं सालगिरह है,
आजादी का एक स्वप्न स्वर्णिम दिन यहां।
अमृत महोत्सव में शामिल होने,
जन आंदोलन अब हम-सबको,
बहुत प्रभावी बनवाना होगा यहां।
वर्ष २०२४ तक चलेगा यह त्योहार यहां,
उन्नत भाव का समग्र भारत में,
खूब रहेगा स्वर्णिम व्यवहार जहां।
अमृत वर्षा होगी यहां,
महोत्सव मनाएंगे हम-सब यहां।
वीरों का बलिदान यहां,
उन्नत रखेंगे मान यहां।
यह अदम्य साहस व सामर्थ्य का,
एक उत्तम पुरस्कार है।
जन-जन तक यह चर्चा दिखता,
जैसे वीरता का पुरस्कार है।
अमृत-सा सन्देश यहां,
विरासत का प्रवेश यहां।
भारत-भारती कर रही पुकार,
सदा रहेगा इसका अपूर्व संसार।
हिन्द के हैं हम-सब आज,
यहां सब हैं इसके सरताज।
यहां यह एक धुरी है,
नहीं निकट कमजोरी है।
महापुरुषों को करें हम याद,
सुन्दर सुबह सुनेंगी यहां,
हम-सबकी खूब फरियाद।
भारतीयता है एक पहचान,
सदा रहेगा ऐश्वर्य यहां।
कहीं कभी नहीं होगा,
इसका अपमान,सर्वत्र रहेगी पूछ जहां।
सुन्दर सन्देश मिला है हमको,
दीपशिखा-सा दिखता सबको।
अभिषेक से परिपूर्ण विचार,
यहां मिलता है अपूर्व हमें प्यार।
शिखर पर है देश हमारा,
उज्जवल,उत्कृष्ट और उल्लासित जंग सारा।
भारत सम्पूर्ण राष्ट्र अब यहां,
सदा सुखी और समृद्ध संस्कार।
इसकी विरासत सुरक्षित रखकर हम,
सुरक्षित रखते अपना संसार।
अपने देश का मान बढ़ा है,
ऐश्वर्य और सम्मान बढ़ा है।
संस्कृति है यहां की सब पर भारी,
संस्कृति सबसे पवित्र हमारी।
सुन्दर उपवन उन्नत संस्कार,
है यह अपना सुन्दर अवतार।
वैश्विक संकेतों से है पूर्ण यह देश,
कहलाता है विश्व में यह अपना भारत।
उत्तम सम्पूर्णता का तार यहां,
कभी न हो सकता यह आहत।
भारत भाग्य विधाता उन्नत,
है सम्पूर्ण विश्व जिससे रहते हरपल सहमत।
इसका हृदय विशाल है समृद्ध,
हम-सब कहते सदा इसे वृहद।
जन-जन में खुशहाली प्यारी,
७५ साल में दिखती हरियाली वह न्यारी।
वैश्विक पहुंच अब सब पर भारी,
नहीं है क्षेत्र बचा जहां नहीं पकड़ हमारी।
उन्नत,उज्जवल,उत्कृष्ट है भारत,
सबके बीच है स्वीकृत यह सारत।
आओ हम-सब मिलकर एक गीत गाएं,
शिखर भारत के उत्तम गुणों को सुनाएं।
यह है एक उत्तम उपहार,
जन-जन में खुशहाली खूब दिखती,
और उन्नत सा दिखता प्यार।
अमृत महोत्सव है एक शान,
दिखता हैं जैसे एक वरदान।
आओ मिलकर हम-सब आज़ दीप जलाएं,
प्रगति पथ पर आगे ले जाएं।
यह होगा उत्तम उपहार,
भारत भारती का उत्तम सत्कार।
देश में हो एक शुभ शुरुआत व उन्नत प्रयास,
सब समझें उत्कृष्ट,हो सबको अच्छा अहसास।
भारत-भारती की है यहां एक विरासत,
असंख्य काल तक रहेगी यह बनकर संस्थागत॥
परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।