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आज स्वर्ग में भी क्या नजारा होगा..

संजय बाद्विक
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जब सुषमा जी ने अटल जी को बताया होगा कि देश की बेटी उनके स्वप्नों को साकार करके उनके पास पहुँची है,
भैया मैं वही सुषमा जिसको संसद में मंत्री का सम्मान दिया,राजनीति के गुरुवर बन कर देशधर्म का ज्ञान दिया।

हाँ हाँ भैया वही,वही,जो हर दिन मिथक तोड़ती थी।
हाँ जो स्वयं नाम के आगे शब्द ‘स्वराज’ जोड़ती थी।
हाँ-हाँ बेटी याद आ गया,तू संसद की सुषमा थी,मैं अक्सर सोचा करता तू बेटी थी या फिर माँ थी।

ऐसा कह कर ‘अटल बिहारी’ मुस्काये फिर घबराए,इतनी जल्दी भारत छोड़ा ? ऐसा कह कर झल्लाए।

सुषमा बोल उठी-भैया जो खबर आज सीने में थी,उसके बाद नहीं अब कोई रुचि मेरी जीने में थी।
उसी खबर के इंतजार में आप तड़पते रहे सदा,कब ऐसा दिन आएगा बस यही सोचते रहे सदा।

मुझे लगा मैं सबसे पहले खबर आपको दूँ आकर,अपने अटल बिहारी दादा को खुश खबरी दूँ जाकर।
सुनो आज कश्मीर हिन्द का पक्का अंग बन गया है,जिसके लिए आप जूझे थे वो सत्संग बन गया है।

जिसके लिए मुखर्जी जी हँस कर बलिदान हो गए थे,धरती के उस स्वर्ग की खातिर जो कुर्बान हो गए थे।
आज आपके दो बेटों ने वो कर्तव्य निभाया है,स्वप्न आपका था जिसको अमली जामा पहनाया है।

इतना था उत्साह हृदय में जिसका झुकना मुश्किल था,बिना आपको बात बताए मेरा रुकना मुश्किल था।
मुझको लगता है सुषमा जी फर्ज निभाने चली गयीं,अपने ‘गुरुवर’ को जल्दी खुश खबर सुनाने चली गयीं॥
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुम्बई)

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