आजादी…और कहां तक गिरना है ?

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** न हम हिन्दू न हम मुस्लिम,और न सिख ईसाई हैंहिंदुस्तान में जन्म लिया है तो,पहले हम हिंदुस्तानी हैंआजादी की जंग में,इन सबने जान गंवाई थीतब जाकर हमको…

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अखण्ड भारत हमारा है

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** सुनो मेरे देशवासियों,मैं हूँ एक साधारण इंसानमुझे भारत से प्यार है,मुझ वतन से प्यार है। कभी नहीं दिया किसी को धोखा,और न खाई झूठी कसमेंजिनसे की हमने…

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आज की आधुनिकता…

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** आज के दौर कादोस्तों क्या हाल है,आधुनिकता के नाम परबेशर्मी का ये दौर हैन अदब न शर्म और न ही,बची संस्कृति और सभ्यताइसे ही कहते हैं लोग,आज…

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तरस रही हूँ

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** मोम की तरह पूरी रात,दिल रोशनी से पिघलता रहापर वो इस हसीन रात को,नहीं आए मेरे दिल मेंमैं जलती रही और,नीचे फिर से जमती रहीफिर से उनके…

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पर्यावरण को बचाएं

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** पर्यावरण दिवस विशेष..... कदम से कदम मिलाते चलो,पर्यावरण को बचाते चलोराह में जो भी मिले राही,यह संदेश तुम देते चलो। अभी न बचाओगे पर्यावरण को तो,बहुत तुम…

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जीवन चक्र

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** विधाता ने सृष्टि बनाई,और उसके नियम बनाएजिन्हें पृथ्वीवासियों को,मानना सबका कर्तव्य हैअब हम मानें या न मानें,ये सब पर निर्भर करता हैक्योंकि विधाता ने तो,सब कुछ आपको…

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जिसमें समाया सारा जहाँ

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** एक अक्षर का शब्द है माँ,जिसमें समाया सारा जहाँजन्मदायिनी बनके सबको,अस्तित्व में लाती वोतभी तो वो माँ कहलाती,और वंश को आगे बढ़ातीतभी वह अपने राजधर्म को,माँ बनकर…

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इंसानियत को जिंदा रखो

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** इंसान की औलाद हो,इंसान तुम बनोइंसानियत को दिल में,अपने जिंदा तुम रखोमतलब फरोश है ये दुनिया,जरा इससे बच के रहोलड़वा देते हैं आपस में,भाई-बहिन को।ऐसे साँपों से…

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चाँदनी रात

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** सुहानी यादों को मैं,आज ताजा कर रहा हूँबैठकर बाग में उस चाँद को,पहले की तरह ही आजअपनी आँखों से तुम्हें देखकर,उसी दृश्य की परिकल्पना कर रहा हूँ।…

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होली का रंग

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… तुम्हें कैसे रंग लगाएं,और कैसे होली मनाएं ?दिल कहता है होली,एक-दूजे के दिलों में खेलोक्योंकि बाहर का रंग तो,पानी से धुल…

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