रत्ना बापुली
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
*****************************************
जीवन व रंग…

प्रकृति के आँचल में सजे,
जीवन के कई रंग
छन-छन कर आती है जिससे,
खुशियों की तरंग
आया फागुन का रंग अनन्त।
ममता स्नेह की तरूणाई लेकर,
आती माँ का रूप
श्वेत रंग ममता का देखो,
हर रंग के अनुरूप
कितनी सुन्दर दिखती धरती,
मौसम का ले संग
आया फागुन का रंग अनन्त।
पिता के प्यार में बैंगनी रंग,
करता पूरी आशा
नन्हें-नन्हें पंखों को,
देता रोज दिलासा
धारण करते जोगिया रंग,
साधु व संत
आया फागुन का रंग अनन्त।
रंग नांरगी और हरा,
दोस्ती को करती गहरा
इन्द्र धनुषी रंग लेकर,
फूल भी पहनाता सेहरा
दुल्हन को मिलता है,
अपने ही मन का कन्त
आया फागुन का रंग अनन्त।
काला रंग देता है,
कठिनाइयों का संकेत
तो पीले रंग में रंगकर श्याम,
भक्ति का देता संदेश
रंगों की इस दुनिया का,
होगा कभी न अन्त
आया फागुन का रंग अनन्त।
प्रियतम का लाल रंग,
मन में भरता प्रेम
तन-मन दोनों पुलकित हो,
एक हो जाती देह
सृष्टि का यही चक्र,
चलता सबके संग
आया फागुन का रंग अनन्त।
होली का रंग हमको बताता,
करो न कोई भेद
रंग लो अपने मन को ऐसे,
मन का हो अभिषेक
जीवन व रंग दोनों का,
एक ही होता पंथ।
झूम लो सब मिलकर,
आया फागुन का रंग अनन्त॥