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आरती करूं सुबह- शाम

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) …

विश्व में श्रेष्ठ और महान,
जननी, माँ, माता, अंबा नाम
माँ ही ईश्वर और चारों धाम,
आरती करूं मैं सुबह-शाम।

सारा जीवन करती अर्पित,
परिवार के लिए समर्पित
निस्वार्थ भाव से करती प्यार,
अपना सब कुछ देती वार
स्नेह की नदी हर पल,
उर में बहती अविराम।
आरती करूं मैं…

ममता की प्यारी-सी सूरत,
भोली-भाली निश्छल मूरत
बोली उसकी सहज सरल,
कष्टों का पी जाती गरल
है परिवार की पालनहारी,
कर्म करे सदा निष्काम।
आरती करूं मैं…

माँ का रिश्ता बड़ा अनमोल,
जिसका कोई मोल ना तोल
देवों से बढ़कर वंदनीय है,
ऋषि-मुनि कह गए ये बोल
ज्ञान की प्रथम पाठशाला है,
सुसंस्कार देना है काम।
आरती करूं मैं…

जीवन की निर्मात्री है वो,
सृष्टि और सहायक भी
सावित्री, सरस्वती, अन्नपूर्णा,
राधा, पार्वती-सी आराधक भी
धरा सम आदर्श लिए,
गुणों की खान को प्रणाम।
माँ ही ईश्वर और चारों धाम,
आरती करूं मैं सुबह-शाम॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

 

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