भोपाल (मध्यप्रदेश)
माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) …
माँ की उंगली पकड़कर चलते हम,
जिंदगी की शिक्षा, अनुशासन सीखते हम।
सही-गलत की परख कराती सुषमाँ,
अच्छे-बुरे की पहचान बताती सुषमाँ।
जीवन की शुरुआत से जीवन के अंत तक की शिक्षक है सुषमाँ,
जीवन के कठिन पड़ाव, मुश्किल वक्त में आशीर्वाद की बारिश है सुषमाँ।
हर मुश्किल हालात, परेशानियों से दूर रखती सुषमाँ,
अपशकुन, बद्दुआ को दुआ में बदल देती सुषमाँ।
हाथ थाम कर हमारी जिंदगी की राह को आसान बनाती सुषमाँ,
हमें बुरी नजर, बलाओं से बचाकर आँचल में समेट लेती सुषमाँ।
उनकी ममता के आँगन में सुरक्षित रहता हमारा सम्पूर्ण जीवन,
जिसके आवरण तले हमें रक्षण होता महसूस पल- पल, क्षण-क्षण।
सुषमाँ ही है इस धरती पर अलौकिक स्वर्णिम प्रतिरूप ईश्वर का,
जिसकी कमी को पूरा करना खुद ईश्वर के भी नहीं बस का।
हर सुषमाँ है परमात्मा का दिया वसु पर अद्भुत, अद्वितीय, उपहार,
जिनके नहीं होने से बेकार है जीवन का हर सोलह श्रृंगार।
सुषमाँ है प्राणदायिनी, हमारे समस्त जीवन की प्रतिभागी,
मेरे इस छोटे से जीवन की अविस्मरणीय साम्राज्ञी।
उनकी हर छोटी-बड़ी स्मृति है कैद मेरी समस्त देह के कणों में,
मेरे प्रथम व अंतिम पल भी समर्पित हैं सुषमाँ जी के श्री चरणों में॥
परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं। यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि १६ नवम्बर एवं जन्म स्थान-विदिशा (मप्र) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। पीजीडीसीए व एम. ए. शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। यह अधिकतर कविता लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। कुछ स्पर्धा में प्रथम भी आ चुकी हैं।