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आ रहे हैं अवध बिहारी

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष ……

मात-पिता की आज्ञा पूरी कर,वन से लखन सिया संग,
आ रहे हैं जन्म स्थान,मन में छलकती है अजब उमंग।

दीप प्रज्वलित की घर-घर में,सभी मित्रों करो तैयारी,
आ रहे हैं राजा दशरथ जी के पुत्र,राम अवध बिहारी।

हर एक गली चौराहे पे फूल मालाओं से सजाओ,
घर में सभी बहनें शुभ संकेत भरी रंगोली बनाओ।

इतने दीप जलाओ,घर-घर दीपावली नाम पड़ जाए,
प्रेम बन्धन में बांध के रखेंगे राम को,छोड़के ना जाए।

माता कौशल्या की खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा,
जब सीता बहू ‘सासू माँ’,चरण में रहकर कहेंगी।

जब पुत्र रामचन्द्र को माँ कौशल्या नैनों से देखेंगी,
माता के सूखे नैनों से आँसू की धारा बहती जाएगी।

हर नगरवासी घर-घर मधुर पकवान बना के रखे हैं,
सोच रहे हैं सभी मन में सब,राम मेरे बहुत भूखे हैं।

धूम मची है घर-घर में,मंगलाचार बहनें गातीं हैं,
जब आएंगे रामचन्द्र,वो दिन दिवाली पर्व मनाते हैं॥

परिचय–श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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