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इंसानियत की देवी

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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तेज आंधी चल रही थी, अब धीरे-धीरे बारिश भी होने लगी थी, बीच-बीच में जोर से बिजली कड़क रही थी और मेरा मन डर के मारे बैठ जा रहा था कि बिजली भी गोल हो गई। ऐसे वक्त में अचानक एक कीड़ा, जो मुझे दिख नहीं रहा था ने मुझे डंक मारा। मेरे मुँह से जोर की चीख निकली और मैं गिरते-गिरते बची। ऐनवक्त पर मेरे घर में काम करने वाली माया ने मुझे बहुत सहारा दिया। वह तुरंत नीचे जाकर भाभी को बुला लाई और दवाई की दुकान जाकर उसने दवा लाकर मुझे दी। चोट वाली जगह पर मरहम लगा कर बहुत देर तक मेरे पास भी बैठी रही और मेरा डर दूर करने में मदद करती रही। वह एक अनपढ़, गाँव की महिला थी, पर उस समय साहस और संयम का परिचय शांति से दिखाया, कि सच में मैं अचंभित रह गई।
मैंने उससे पूछा, -“तुम्हें डर नहीं लगता इन खतरनाक कीटों से ?”
माया ने कहा, -“दीदी डर कैसा, हम लोग तो कच्चे घर में रहते हैं। वहाँ कीड़ा, मकोड़ा, साँप, बिच्छू सब घूमते रहते हैं, ऐसे माहौल में रहकर ही बढ़े हुए हैं।”
मैंने बोला, -“अब घर चली जाओ, रात ने अपनी काली चादर बिछा दी है, तुम्हारे छोटे बच्चे तुम्हारी राह देख रहे होंगे।”
माया बोली, -“ठीक है दीदी, आप चिंता न करो, उनके पापा घर पर ही हैं। आप जल्दी से ठीक हो जाओ।”
बारिश भी अब थम चुकी थी, तो मैं उसके बच्चों के लिए हाथ से बनाए सलोनी का एक डब्बा देकर बोली,-“तुम भी अपना खयाल रखना और आज मुझे इस मुसीबत के समय जतन करने और सहारा देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।”

वो धीमे-धीमे सीढ़ियाँ उतर अपने घर की ओर चल पड़ी। मैं एकटक उसकी सादगी और साहस को नमन करती रही। जीवन में जब भी ऐसे पल आते हैं, तो सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि हमारी पढ़ाई-लिखाई, नाम, शोहरत, धन-दौलत का क्या मोल है ? जब तक हम ज़िंदगी के फलसफे को नहीं समझ पाएंगे। ये सारी चीजें कभी-कभी हमें मुसीबतों से जूझने का साहस नहीं दे पाती हैं, जो हिम्मत अनपढ़ किन्तु ‘इंसानियत की देवी’ मुझे दिखा गई।

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।