सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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वसंत पंचमी:ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव…
आई ऋतु बसंत मनभावन,
किया प्रकृति ने नव श्रृंगार
पीली सरसों मन ललचाया,
अनुपम प्रकृति का यह उपहार।
चलती मधुर बयार सुगंधित,
हर्षित होते पुलकित पात
खिले पलाश लाल हुआ तरूवर,
मनवा मंद-मंद मुसकात,
अरुण प्रभात सुशोभित उपवन,
घूम-घूम करे मधुकर गुंजन
डाली-डाली कोयल काली,
कुहू-कुहू कर देती तान।
प्रकृति सिखाती सीख मनोहर,
प्रेम रंग है बड़ा ही सुंदर
सीख यही देता मधुमास,
होली का है यह उपहार॥