धर्मेन्द्र शर्मा उपाध्याय
सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)
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एक बूँद पानी की कीमती,
कीमत जल की तुम पहचानो
बिन पानी है जीवन सूना,
जीवन की कीमत पहचानो।
जल ईश्वर की अनूठी देन,
जीवों को है सुख की भेंट
सुंदर धरती से है जल,
जल से ही प्रकृति भरपूर।
पेड़, पौधे, पर्वत और घास,
रंग-बिरंगे फूल, खलिहान
हरे-हरे ये गात और पात,
जल बिन होंगे ओझल तमाम।
बादल, मौसम, ऋतु-परिवर्तन,
सभी समय पर करते काम
पर हम करते बिन कारण,
प्रकृति दोहन से स्वयं विकास।
धरती पर जीना हो मुश्किल,
सूना हो जीवन संसार
तड़-तड़प कर मरना होगा
बिन पानी निकलेंगे प्राण।
पर्यावरण को करोगे दूषित,
जल उतना ही कम होगा
बिन कारण पेड़ काटना,
या भूमि से करो छेड़छाड़।
प्लास्टिक हो या रसायनिक वस्तु,
जल को सब करते हैं खराब
धरती गर्म हो रही दिन-दिन,
घटने लगा पानी का आधार।
पेड़-पहाड़ है शान धरती की,
पानी इनसे निकले अपार
इनकी सुरक्षा ही अपना बचाव,
जिनमें बसते जीवों के प्राण।
जल बिन जीव भटकते देखे,
विषधर को तरसते देखा
मेंढ़क का उछलना बंद,
पंछी को तड़पते देखा।
नर, नर को क्या मारेगा,
बिन पानी नर मरते देखा
बिन पानी ना भोजन-खाना,
साफ-सफाई स्नान, ध्यान।
कैसे प्यास बुझाओगे तुम ?
जो घुटने लगे दम जीवन प्राण।
जैसे क्षण-क्षण समय है चलता,
वैसे बूँद-बूँद हो रही बर्बाद।
न बर्बाद करो जल बूँद को,
तब जीवन होगा खुशहाल
जल-संचय से जीवन आसान,
पानी से मिले रंगीन संसार।
जल जीवन का अपार अमृत,
जीवन अमृत धार बचा लो।
एक बूँद पानी की कीमती,
कीमत इसकी तुम पहचानो॥