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तोहफा नहीं, आशीर्वाद दे जाना

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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स्नेह के धागे…

आप चाँद के जैसे प्यारे, भाई हो हमारे,
आपके जैसे सुन्दर नहीं है, चाँद-सितारे।

हमारे भैया, पिता के बाद स्थान है तुम्हारा,
तुम्हीं से सुशोभित होता है, पीहर हमारा।

दिन-रात आपको याद करती हूँ, मेरे भैया,
रूप तुम्हारा भोला है, जैसे कृष्ण कन्हैया।

अपना ख्याल रखना भैया, दुर्बल नहीं होना,
तुम्हें खुश देख के, मैं भूलूंगी सब दु:ख अपना।

मेरे भैया धरा में, सबसे ज्यादा है धनवान,
क्योंकि, मेरे भाई के संग रहते हैं भगवान।

बचपन से, बहुत प्यार किया है मुझको,
लाख-लाख दुआएं देती हूँ, भाई तुझको।

याद रखना तुमसे ही, भाभी का है सुहाग,
तुम्हारे लिए भाभी, गीत गाती है प्यार भरे राग।

भाई राखी बंधाने, मेरे ससुराल में आ जाना,
तोहफा नहीं, राखी का आशीर्वाद दे जाना।

जुग-जुग जियो, भैया मेरी उम्र लगे,
रिश्ते नहीं दूजे जग में, भैया तुमसे सगे॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |