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कर्म और संघर्ष ही जीवन

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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वाणी से ही खुशी और वाणी से ही तूफान होता है,
वाणी से होती पीड़ा और वाणी से ही आराम होता है।
वाणी काम करती मरहम,दवा और दुआ की तरह-
वाणी से ही सिद्ध,आदमी का हर काम होता है॥

कठिनाई से ही हमें,अंदर ताकत की पहचान होती है,
भीतर सोई हुई क्षमता को,जगाने का काम होती है।
सुख से नहीं दुःख से कहीं,अधिक सीखते हैं हम-
गर हम हिम्मत न हारें तो,फिर जीत ईनाम होती है॥

खुद को पहचानो और खुद से तुम प्यार करो,
मत किस्मत के सहारे बैठे,भाग्य का इंतज़ार करो।
कर्म पर विश्वास रखो और ईश्वर पर तुम आस्था-
मेहनत की डोर पकड़ कर,मंजिल तुम पार करो॥

अपने कर्मों से ही तो आदमी,जाकर महान बनता है,
संवेदना बसती है जब दिल में,तो जाकर इंसान बनता है।
एक ही पत्थर से इंसान और मूरत हैं बनते-
जो सहता दर्द तराशे जाने का,वो जाकर भगवान बनता है॥

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