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कल,आज और कल

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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कल की बातें कौन जाने,
आज के लिए ही है जीना
कल से ही शिक्षा लेकर,
कल को है हमें सँवारना।

जाने कल हुई है क्या गलतियां,
आज नहीं है हमें उसे दोहराना
आज करें अवश्य सत्कर्म हम,
जिससे पड़े ना कल पछताना।

थी जो कल हमारी अच्छाई,
बना ले उसे आज परछाई
अब उसे यदि ना खोएं भैया,
कल पार लगेगी अवश्य नैया।

कल रहते थे परिवार में सभी साथ,
आज हो गए हैं भाई सब में विवाद
स्वार्थ छोड़ सभी करें एक दूसरे से बात,
कल आएंगे फिर खुशियों की सौगात।

कल था खेलना दोस्तों के संग,
आज खोजते मोबाइल में उमंग
छोड़ मोबाइल दोस्ती में भरे रंग,
खुशियां देख कल दुनिया होगी दंग।

कल लड़ाई में होता था नियम,
आज नियमों में होती है लड़ाई
छोड़ लड़ाई अपनाएं शांति भाई,
फिर विश्व की होगी अवश्य भलाई।

कहता ‘राजू’ सबसे एक ही बात,
सुन सभी इसे मन में बांधो गाँठ।
दूसरों के हित पसंद का करो काम,
फिर धरती बन जाएगी स्वर्ग-सा धाम॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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