कुल पृष्ठ दर्शन : 175

You are currently viewing कविता है तो प्रेम और सभ्यता जीवित-हजारी सिंह

कविता है तो प्रेम और सभ्यता जीवित-हजारी सिंह

लयबद्ध और भावपूर्ण बताया डॉ. आरती कुमारी की ग़ज़लों को कवि सिद्धेश्वर ने

पटना (बिहार)।

कविता धरती पर प्रेम के पक्ष में खड़ी हुई गवाही है। कविता है तो प्रेम, माधुर्य, सौंदर्य, सद्भाव संस्कृति और सभ्यता जीवित है। वरना आदमी की अदम्य भोग लिप्सा और स्वार्थ ने दुनिया को नर्क बनाने में कोई कोर कसर कहां छोड़ी है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ शायर हजारी सिंह ने यह बात कही। अवसर रहा आभासी कवि सम्मेलन का। इसका संचालन करते हुए संयोजक और वरिष्ठ कवि सिद्धेश्वर ने कहा कि, ‘पत्थर न देखिए कोई खंजर न देखिए, नफरत भरी हो जिनमें वह मंजर न देखिए! एक रोज आसमान पर ले जाएगी हवा, बिखरी हूँ मैं, धरा पे अभी धूल की तरह!’ मशहूर शायरा डॉ. आरती कुमारी के नवीन ग़ज़ल संग्रह ‘साथ रखना है’ में प्रकाशित ग़ज़लों में से चुने हुए इस तरह के कई शेर बरबस किसी भी पाठक को अपनी ओर खींचने में कामयाब है। इतना ही नहीं, हिंदी उर्दू गजलों की भीड़ में डॉ. आरती कुमारी का यह अंदाज़ ए बयां काबिले तारीफ इस मायने से है कि, उनकी ग़ज़लें जीवन के हर पक्ष को अंगीकार करती है। कवयित्री डॉ. आरती कुमारी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी ग़ज़लों के प्रति आकर्षित है, क्योंकि ग़ज़ल सागर में गागर भरने का कार्य करती है।

सम्मेलन में सिद्धेश्वर सहित डॉ. लोकनाथ मित्र, पुष्प रंजन, ऋचा वर्मा व इंदु उपाध्याय आदि ने भी कविताओं का पाठ कर मंच को सुशोभित किया।

Leave a Reply