डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’,
जोधपुर (राजस्थान)
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कहकशाँ तेरी मेरी बातों का,
तेरा-मेरा साथ हो, दिलकश नज़ारा हो।
तसलीम करूँ मैं तुम्हारी मोहब्बत को,
फूलों का इशारा हो।
कुदरत की बहारें, बहते फव्वारे,
जन्नत के नज़ारे कुदरत ने उतारे
परियों की नगरी में बादशाह का देश,
वो अन्जुम, वो कहकशाँ, वो गुलफ्शा
वो बागे बहा, वो रोज-ए-सफा,
वो शौक-ए-फिज़ा, बहता झरना वो रिमझिम सितारों की चमक,
वो नरमो नाजुक-सी लचक खूबसूरत।
दुनिया के मालिक मैं और तुम,
कहकशाँ तेरी-मेरी बातों का चमन है॥