राधा गोयल
नई दिल्ली
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अपनों ने जो दर्द दिए हैं,याद बहुत आते हैं,
बहुत भुलाना चाहते हैं,पर भुला नहीं पाते हैं।
जब अपना साथी ही अपना दुश्मन बन जाता है,
रोज घाव देकर वो उन पर नमक छिड़क जाता है।
फिर तल्खी से कहता है कि भूल जाओ वो बातें,
रो-रोकर काटी हैं हमने,जाने कितनी रातें।
याद नहीं करना चाहते हम उन कड़वी यादों को,
जख्म किए जो दिल मेंउन घातों और प्रतिघातों को।
हाथ पकड़कर तेरा,इस अनजान राह आई थी,
अपनी सारी खुशियाँ,तेरी खातिर बिसराई थीं।
तुम ही समझ सके न मुझको,किससे आस लगाऊँ ?
आशा और निराशा के पलड़ों में गोते खाऊँ।
कह देते एक बार प्यार से,भूलो बीती बातें,
अब सोने से दिन होंगे और चाँदी जैसी रातें।
प्यार भरे इन शब्दों से वो सारे जख्म भुलाती,
सुख स्वप्नों का छोटा-सा सुन्दर संसार बसाती।
कह देते एक बार प्यार से,तुम्हें बहुत चाहता हूँ,
तेरे बिना अधूरा जीवन काट नहीं पाता हूँ।
फिर अपनों के दिए दर्द भी,मैं हँस कर सह जाती,
प्यार तुम्हारा मिल जाता,तो सारी व्यथा भुलाती।
छोड़ो अब बीती बातों को,बीती बात भुलाएँ,
अपने मधुरिम सपनों की फुलवारी को महकाएँ।
शिकवा नहीं किसी से अब,जब प्यार तुम्हारा पाया,
जीवन का अनमोल खजाना साजन मैंने पाया॥