प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष….
करना नित व्यायाम,ज़िन्दगी मंगल गाती,
कहता चोखी बात,मान यदि मन को भाती।
जीवन में उत्थान,यही तो सब ही चाहें-
करता जो है योग,जिन्दगी सदा सुहाती॥
जीवन है संग्राम,तनावों ने घेरा है,
काया रहे स्वस्थ,खुशी का तब डेरा है।
कहते वेद-पुराण,निरोगी रहना हरदम-
जो योगों से दूर,हर्ष ने मुँह फेरा है॥
जीवन में व्यायाम,अहम सानी है रखता,
जो रहता है सुस्त,दुखों के फल है चखता।
यही आज उद्घोष,सतत् श्रम को है करना-
वरना रोग-प्रकोप,मनुज को आकर भखता॥
योग करे गतिशील,सफलता मिलती जाती,
होता नवल विहान,जि़न्दगी है मुस्काती।
करना तुम नहिं भूल,नहीं तो पछताओगे-
मानोगे जो बात,ताज़गी नित मुस्काती॥
आशाओं के फूल,सदा ही बंधु विहँसते,
जो करते व्यायाम,नहीं रोगों में फँसते।
यही हक़ीक़त जान,सदा तन की वर्जिश हो-
जो हैं मूरख लोग,शिथिल हो गहरे धँसते॥
कर लो आज विचार,योग की महिमा जानो,
कर लो तुम संकल्प,सदा गरिमा पहचानो।
कहते स्वामी लोग,सदा काया चमकाना-
पर भीतर से तेज,योग करके ही पाना॥
योग बिना अँधियार,योग जीवन चमकाता,
योग साध लो बंधु,सतत् जीना है भाता।
व्यायाम की शान,कभी धूमिल नहिं होती-
जिसका तन-मन स्वस्थ,नवल ताकत पा जाता॥
भारत में तो योग,सतत सम्मानित होता,
जो खो देता वक्त़,आदमी दर्द सँजोता।
मेरा है यह सोच,योग को जानो-मानो-
जो खो देता स्वास्थ्य,बंधु वह फिर तो रोता॥
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।