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कालू

डॉ. सुनीता श्रीवास्तव
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)…

आज फिर ११ वर्षीय कालू उसके पास आकर खड़ा हो गया, बोला-“मैम कोई काम बता दो, जो बोलो वो कर दूंगा…।”
एक बार उसे देखा, और कहा-“आज कोई काम नहीं है।”
वह हमेशा की तरह जिद करने लगा-“मैम कुछ भी करा लीजिए, छोटी बहन को जन्मदिन की गिफ्ट देनी है।”
और आशा भरी नजर से कालू मुझे देखने लगा… पास में ही उसके गंदे-फटे कपड़े में ३ वर्षीय भूखी-प्यासी, नन्हीं बहन कपड़ों से लिपटी थी। उसकी प्यारी ऑंखें देख मुस्कुराहट बढ़ गई, पर मन ही मन उदासी छा गई। वह बच्चा भीख नहीं मांगता, न चोरी करता है, सिर्फ काम चाहता है। बरबस ही मैंने कहा-” अच्छा यह घास बढ़ गई, यह काट दो।”
उसने फटाफट घास काट कर मुझे देखा, उसे जब पैसे दिए तो फट से दौड़कर पास की दुकान की और भाग गया, मैं उत्सुकता से उसके पीछे-पीछे गई, तो देखा कालू ने दुकानदार से केक के लिए कहा, पर रुपए कम होने से वह निराशा से अपनी जेब टटोलने लगा… मैंने इशारे से दुकानदार को केक देने का इशारा किया…। केक लेकर, फुर्ती से कालू ने बहन को दिया। दोनों भाई-बहन एक- दूसरे को देख रहे थे, उनकी खुशी को शब्दों में नहीं व्यक्त किया जा सकता, कितना अमीर है कालू…।
नन्हीं-सी बहन अपने अमीर भाई को देख गर्व से भर उठी…।
यह सब हमारे पड़ोसी देख रहे थे, बोले-“बोले बच्चों से कार्य कराना… कानूनी अपराध है… हम अक्सर देख रहे हैं, आप अक्सर उससे कुछ तो भी कराती रहती हैं!”

मैं समझ रही थी उनका मतलब, मैंने कहा-“आप सही हो, पर कभी कभी नियम- कायदे सब तोड़ने की इच्छा होती है, श्रमिक बच्चों का स्वाभिमान, उनकी मेहनत, उनकी लाचारी को देख… नियम तोड़ना अनुचित नहीं है…। हाँ, पर यह नियम जरूरत होने पर मैं आगे भी तोडूंगी… और सजा भुगतने के लिए राजी हूँ।”

परिचय-इंदौर (मप्र) निवासी डॉ. सुनीता श्रीवास्तव ने बी.-एससी. (वनस्पति विज्ञान-प्राणी विज्ञान), एमएसससी (रसायन शास्त्र), बी.एड. सहित पीएच.-डी. (हिन्दी साहित्य) एवं पत्रकारिता (डिप्लोमा) की शिक्षा प्राप्त की है। आप ‘शुभ संकल्प’ समूह की निर्देशिका, संस्थापक और सम्पादक हैं।
कई समाचार पत्रों में अनेक पदों पर १८ साल की पत्रकारिता की अनुभवी डॉ. श्रीवास्तव २ विद्यालय में जीवविज्ञान, एप्लाइड केमिस्ट्री और हिंदी साहित्य का अध्ययन कराने के साथ शिक्षा के क्षेत्र में ८ साल का अनुभव रखती हैं। इनकी कई पुस्तक प्रकाशित हुई हैं, जिसमें प्रमुख-‘चिन्मय, बस्ती का दर्द, यथार्थ चित्रण, यथार्थ पीड़ा, उड़ान, शुभ संकल्प, चाह, सत्यमेव-जयते, दर्द व कसौटी’ हैं। देश-विदेश के कई साझा संकलन, पत्र- पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में आपकी कविता, आलेख व कहानी आदि प्रकाशित हैं। आपको कई सम्मान और श्रेष्ठ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल द्वारा विशेष सम्मान, ‘चिन्मय’ में कहानी ‘बूढ़ा बचपन’ के लिए सृजन ऑस्ट्रेलिया ग्लोबल द्वारा ‘अंतराष्ट्रीय सृजन ऑस्ट्रेलिया पुरस्कार’ (२०१३), ‘ग्लोबल एक्सेलिंसी (जयपुर) अवार्ड- २०२३’, हिन्दी साहित्य को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने हेतु नेपाली राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से ‘अंतराष्ट्रीय भारत-नेपाल साहित्य रत्न सम्मान-२०१९’, नेशनल आर्ट्स एंड कॉमर्स यूनिवर्सिटी (श्रीलंका), वामा साहित्य मंच द्वारा काव्य पाठ हेतु, इंदौर लेखिका संघ, साहित्य रत्न पुरस्कार-२०२४, पद्मश्री मालती जोशी द्वारा २०१८ में, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शरद पगारे द्वारा कहानी ‘नई सोच’ की नाटक प्रस्तुति के लिए, कविता विधा में विशेष योगदान हेतु महात्मा गांधी काव्य संसद द्वारा ३ बार, पद्मश्री जनक पलटा द्वारा और महिला सशक्तिकरण के लिए भी कई संस्थाओं आदि से सम्मानित किया गया है। आपकी विशिष्ट उपलब्धि देखें तो ‘इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल’ में वक्तव्य, ५ देशों में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य संगोष्ठी का आयोजन, काठमांडू में अंतर्रा. साहित्य संगोष्ठी (नेपाल से ५५० से अधिक साहित्यकार सम्मिलित), दुबई में शुभ संकल्प द्वारा प्रवासी भारतीय साहित्यकारों की काव्य-गोष्ठी-सम्मान समारोह तथा श्रीलंका में अंतराष्ट्रीय साहित्य संगोष्ठी व इंडोनेशिया में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम आदि आयोजित करना है। ऐसे ही ५०० से अधिक आभासी एवं १०० से अधिक ऑनलाइन स्पर्धा भी करवाई हैं। सामाजिक व साहित्यिक सेवा के अंतर्गत आप समूह द्वारा जरूरतमंद बच्चों को हिंदी साहित्य की पुस्तकें नि:शुल्क भेंट कर चुकी हैं तो पुस्तकें भी प्रकाशित करवाई। प्रतिवर्ष प्रशंसनीय महिलाओं को ‘गौरव रत्न सम्मान’ तथा ‘महिला शक्ति सम्मान’ से सम्मानित भी करती हैं।