ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)…
पसीने से तर-बतर,
वो कितनी मेहनत करता है
खून-पसीने की कमाई से,
अपना घर चलाता है।
कितने भी हों कठिन रास्ते,
वो बिल्कुल नहीं घबराता है
अपने हुनर का मालिक है,
संघर्ष करना सिखाता है।
चट्टानों को चूर-चूर कर,
मंजिल आसान बनाता है
भीख मांग कर खाता नहीं,
अपने स्वाभिमान में जीता है।
अपने बीवी-बच्चों की खातिर,
कुछ भी कर गुजरता है
कितना भी हो कठिन कार्य,
वो झुकना नहीं सिखाता है।
लोगों की खुशियों की खातिर,
अपना जिस्म जलाता है।
वो मजदूर है साहब,
दिल में अहंकार नहीं लाता है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।