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दिल हमारा खो गया

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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(रचना शिल्प:बह्र/अर्कान-२१२२×३-२१२-फाइलातुन×३-फाउलुन) 
हुस्न उनका चाँद से ज्यादा नशेमन हो गया।
दिल हमारा याद में उनके उन्हीं पे खो गया।

जब नज़र उन पे गई तोआशिकाना दिल हुआ,
इश्क में डूबे सनम फिर होश मेरा तो गया।

शर्बती आँखें कहें या फिर नशीली ही कहें,
देख उनका जादुई लहजा असर तन सो गया।

पास होकर दूरियाँ ये इश्क में जायज नहीं,
रूठ बैठे ना मनाया पल में रिश्ता लो गया।

हुस्न के तारीफ़ में उसने क़सीदे भी पढ़े,
वाह भी जब ना हुई बंदा भी नाखुश वो गया।

टूट जाते दिल भले शीशा कभी रह भी गये,
दिल जो टूटा फिर न आया यार मेरा जो गया।

इश्क में उम्मीद का तो इक दिया जलता रहे,
यार जो रुखसत हुआ तो छार ये दिल हो गया।

इश्क में था आजमाया दाँव वो खाली गया,
दोस्त मेरा ‘ध्रुव’ ज़िगर का देखिए वो रो गया॥

परिचय–प्रदीपमणि तिवारी का लेखन में उपनाम `ध्रुव भोपाली` हैl आपका कर्मस्थल और निवास भोपाल (मध्यप्रदेश)हैl आजीविका के लिए आप भोपाल स्थित मंत्रालय में सहायक के रुप में कार्यरत हैंl लेखन में सब रस के कवि-शायर-लेखक होकर हास्य व व्यंग्य पर कलम अधिक चलाते हैंl इनकी ४ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैंl गत वर्षों में आपने अनेक अंतर्राज्यीय साहित्यिक यात्राएँ की हैं। म.प्र.व अन्य राज्य की संस्थाओं द्वारा आपको अनेक मानद सम्मान दिए जा चुके हैं। बाल साहित्यकार एवं साहित्य के क्षेत्र में चर्चित तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से अनुबंधित कलाकार श्री तिवारी गत १२ वर्ष से एक साहित्यिक संस्था का संचालन कर रहे हैं। आप पत्र-पत्रिका के संपादन में रत होकर प्रखर मंच संचालक भी हैं।

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