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क्या फूल और क्या अंगार

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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ली चुनौती जब सागर से तो,
क्या लहरें और क्या मझधार
मरना ही है सत्य जग में तो,
क्या फूल और क्या अंगार।

चल ही दिए जब हैं समर में,
तो आर होगा या होगा पार
कर्तव्य ऐसा कर जाएंगे कि,
अच्छी सीख लेगा मुझसे संसार।

ऐ मन तू चल सत्य डगर पर,
झुक जाए सारा संसार
सच्चे मन से भज लो हरि को,
महिमा प्रभु की अपरम्पार।

कहे ‘उमेश’ तुम करो भलाई,
हो सके तो बारम्बार।
मन को शांति मिले हे भाई,
बेड़ा राम जी लगाएं पार॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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