हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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खुशबू की तरह महकता है यह जहां,
इसे सिर्फ पहचानने की जरूरत है
ज़िन्दगी के रंग-बिरंगे रंगों में
हमें खो जाने की जरूरत है,
क्योंकि, ज़िन्दगी दोबारा इतनी हसीं नहीं होगी…।
हर एक पल खुशनुमा हो ज़िन्दगी,
तेरी हर एक बात पर हमें यकीन हो
प्यार-मोहब्बत की इस दहलीज पर,
हम यूँ ही मिलते रहें जिन्दगीभर
क्योंकि, ज़िन्दगी दोबारा इतनी हसीं नहीं होगी…।
गम और खुशी की यह लकीरें,
हमें कहाँ ले आईं ज़िन्दगी
तू पास नहीं दूर है,
फिर इतने करीब है ज़िन्दगी
क्योंकि, ज़िन्दगी दोबारा इतनी हसीं नहीं होगी…।
मैं तो मंजिलों की तलाश में,
तुझे ही ढूँढ रहा हूँ जिन्दगी
पर तू कहीं नजर नहीं आ रही,
क्या करूं मैं यही सफर है ज़िन्दगी
क्योंकि, ज़िन्दगी दोबारा इतनी हसीं नहीं होगी…।
हम तो हैं मुसाफिर तेरे दर पे ज़िन्दगी,
तू हमें थाम लेना, एक तू ही तो है ज़िन्दगी
खुशियों के साथ बिताया हमने हर एक पल।
यह पल बड़े अनमोल हैं,
क्योंकि, ज़िन्दगी दोबारा इतनी हसीं नहीं होगी…॥