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खेलें डांडिया

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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आया है पुण्य धरा पर, हम सभी का पावन पर्व नवरात्रा,
पूजा अर्चना और खुशियों का, शुभ दिवस है नवरात्रा।

आओ मिलकर हम सब, सखा-सखी खेलें डांडिया,
जैसे बिरज में श्रीकृष्ण खेलते थे, राधा संग डांडिया।

दुर्गा माता के दरबार में, नर-नारी खेल रहे हैं डांडिया,
मन्द-मन्द मुस्का रही हैं दुर्गा माता, देखकर डांडिया।

भक्तन की भीड़ है, डांडिया में डंडे का मधुर है शोर,
भाव विभोर हो खेलते डांडिया, जैसे वन में नाचे मोर।

बहना खेलती, भाभी भी खेलती संग में पास पड़ोसी,
सभी का रंग-रूप एक समान है, नवदुर्गा माता जैसी।

नवरूपों की नवदुर्गा को, सब नारी मिल के हर्षा रही हैं,
देखकर बच्चों का डांडिया, माता आशीष बरसा रही हैं।

नील गगन तले धरती पर, खुशी से डांडिया हो रहा है,
लग रहा है मानो धरा पर, वृंदावन का रंग छा गया है।

सुन्दर वस्त्र पहन के सब बने हैं जैसे कृष्ण मनमोहना,
राधा रानी जैसी बहना है, जिसे लुभाते थे मनमोहना॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |

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