अमल श्रीवास्तव
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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सनातन संस्कृति के जितने भी आर्श ग्रंथ हैं, लगभग सभी ने गाय के महत्व को स्वीकारा है। गाय में ३३ कोटि देवताओं का वास बताया गया है। ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की नन्दनी नाम की गाय द्धारा विश्वामित्र की चतुरंगनी सेना को भोजन कराना, फिर युद्ध में परास्त करने की कथा जग जाहिर है। रघुकुल के प्रतापी राजा दिलीप को गौ सेवा से मनोवांछित फल की प्राप्ति हुई। भगवान श्री कृष्ण जी को गौ सेवा के कारण ही गोपाल या ग्वाला कहा जाता है। आर्थिक आधार पर भी गाय की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता। गोबर की खाद, गोबर गैस, आदि के उपयोग और फायदे के बारे में कौन नहीं जानता! गाय का दूध ‘सर्वाहार’ कहलाता है। पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर) के बारे में कहा़ जाता है कि,
“पंचगव्य के साथ-साथ, जो सात्विक भोजन करते हैं। महामारियों के प्रभाव से, सदा सुरक्षित रहते हैं।’
वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर वायुमण्डल में प्राणवायु ऑक्सीजन की अधिकतम मात्रा २१ फीसदी मानी जाती है।भारत के सन्दर्भ में यह ग्रामीण क्षेत्रों में १८ -१९ और शहरों में ११-१२ प्रतिशत तक ही है। इसी कारण से भारत में फेफड़े से संबंधित रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
भारतीय गाय के ताज़ा गोबर में प्राणवायु ऑक्सीजन की मात्रा २३ फीसदी होती है। जब इस गोबर को सुखा कर कण्डा (ओपला या छैना) बनाया जाता है तो ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर २७ तक हो जाती है। इस कण्डे को जलाने से जो राख बनतीं है, इसमें मात्रा बढ़कर ३० तक हो जाती है। इसी को भस्म बना देने पर प्राणवायु ४६.६ फीसद तक हो जाती है। इस भस्म को दोबारा जलाकर विशुद्ध भस्म बनाने से यह मात्रा ६० फीसदी तक हो जाती है। वैसे, सामान्यत: विज्ञान की मान्यता के मुताबिक किसी भी वस्तु को प्रक्रिया में करने से उसमें हानि होती है, परन्तु गाय का गोबर इसमें अपवाद है। जिस तरह लगभग सभी पेड़-पौधे रात को कार्बन डाइऑक्साइड और दिन को ऑक्सीजन छोड़ते हैं, लेकिन पीपल का वृक्ष इसमें अपवाद है, उसी तरह गाय के गोबर को भी समझना चाहिए। तभी तो जल में थोड़ी सी भस्म मिला देने से जल शुद्ध हो जाता है और उसमें सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है।
प्राचीनकाल में साधु-संत संभवतः इन्ही गुणों के कारण इसे प्रसाद के रूप में देते थे। इन्हीं कारणों से गाय के कंडे में घी का हवन करने की परम्परा बनाई गई है। ‘कोरोना’ काल में गाय के कंडे को जलाकर घी की आहुति देकर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के प्रयोग बहुतायत मात्रा में किए गए हैं और उसके परिणाम भी काफी सकारात्मक रहे हैं।
वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसार यदि १ लीटर पानी में १०-१५ ग्राम भस्म मिलाई जाए और भस्म पानी के तले में बैठ जाए, तब पानी पीने से पानी की शुद्धता के साथ ही निम्न पोषक तत्व प्राप्त हो सकते हैं-
ऑक्सीजन ४६.६ फीसदी, सिलिकॉन ३०.१२, कैल्शियम ७.७१, मैग्नीशियम २.६३ और पोटैशियम २.६१। ऐसे ही क्लोरीन २.४३, एल्युमीनियम २.११, फ़ास्फ़रोस १.७१, लोहा १.४६, सल्फर १.४६, सोडियम १, टाइटेनियम ०.१९ और मैग्नीज ०.१३ फीसदी सहित बेरियम ०.०६ फीसदी आदि सभी तत्व शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक हैं।
परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।