आगरा (उप्र)।
समाज में कुछ प्रतिभाएं मंच न मिलने के कारण कुंठित हो जाती हैं और कुछ मार्गदर्शन संग गुरु के अभाव में उच्छृंखल हो जाती हैं। इन्हीं बिंदुओं पर व्यापक विचार के बाद डिजिटल खिड़की ने एक सप्ताह की कार्यशाला (कवि शाला) आगरा के ताज होटल में आयोजन की, जिससे १९ कवि चुनकर उन्हें सम्मेलन के लिए मंच दिया।
जय कविता कल्याणी ने बताया कि कार्यशाला में तीनों समस्याओं का समाधान किया गया। कई आवेदन के बाद देशभर से कुल १९ रचनाकारों का चयन किया गया। इनको कवि सुदीप भोला, रमेश मुस्कान, दिनेश बावरा, ज्ञान प्रकाश आकुल, कुलदीप अंगार और अंकिशा के ज्ञान, विशेषज्ञता एवं अनुभवों से प्रशिक्षित किया गया।
फिर डॉ. कुमार विश्वास के साथ सभी नवोदित कवियों को ६ दिनों तक लगातार मार्गदर्शन, कौशल व प्रशिक्षण प्राप्त हुआ और अंतिम २ दिनों में हुए कवि सम्मेलनों में उनके संचालन में सभी ने ज्ञान को समेटकर जब प्रस्तुतियाँ दीं, तो पूरा सभागार इन नई कलिकाओं की महक से अचंभित रह गया। प्रसन्नता इस बात की है कि अब हमारी वाचिक परंपरा को नए पुष्प मिले हैं, जिन्हें पाकर हिंदी मंच सुवासित हो उठेगा।