कुल पृष्ठ दर्शन : 8

जगमगाएं हम

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
*************************************************

दीप जलें, मन महके (दीपावली विशेष)…

साफ-सफाई घर की करते हैं,
हम दिवाली से पहले हर वर्ष
कर लो इस बार उसी तरह निर्मल-
गहराई में जाकर अंतर्मन को।

सजा कर घर के हर कोने को,
रंग-बिरंगे तोरण, बंदनवार द्वार पर
रंगीन रोशनी की विद्युत झालर से-
चमके घर का प्रांगण और आँगन।

प्रकाश कुछ ऐसा फैलाओ,
भारतीय ज्ञान और संस्कृति की
परंपरा दमके हमारे चारों दिशाओं में,
शिक्षा-दीक्षा हो सही मायने में साकार।

मिट्टी के दीए जलाकर,
कुम्हार की झोली को खुशियों से भर दें हम
पटाखे जलाकर पर्यावरण को दूषित न करें हम,
प्रीत की भाषा बोलकर मुँह मीठा कराएं हम।

लक्ष्मी जी के पीछे न भागकर,
घर की लक्ष्मी को संवार और सम्मान दें हम
वास्तविक पूजा तो तब होती है जब अपनों के लिए,
इस अमूल्य जीवन के उत्तम सिद्धांत छोड़ जाएं हम।

इस स्वार्थ और अंधेरी दुनिया में,
कुछ पल उम्मीद के जगा जाएं हम।
खुशियाँ बाँटकर सबके मन को उज्ज्वल कर जाएं हम,
जब ये दीप्तिमान हो उठे तब असली दिवाली से जगमगाएं हम॥