डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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राजा भूपति आए बैठे, जनक के दरबार।
मनोहर छवि श्रीराम की, देते तन-मन वार॥
सीता की विवाह बेला, धनुष बाण टूटेगा,
जनक द्वारे भीड़ लगी राजा का मोह छूटेगा।
बलशाली राजा आए जनक के दरबार,
राजा भूपति…॥
सीता के सपने लिये, मन में चलते द्वन्द हजार,
फूलों-सी कोमल सिया, किसे करें स्वीकार।
इक-दूजे को देखते, नृप आए दस हजार,
राजा भूपति…॥
लेख विधाता लिख दिए, सीता के संग राम,
मन में जानकी वरण करे, जपती राम नाम।
राजाराम सुयोग्य हैं, सीता के सरकार,
राजा भूपति…॥
एक-एक कर नृपति आए, धनुष- बाण हिला नहीं,
जनक निहारे क्रोध से, क्या कोई वर मिला नहीं।
राम धनुष और तोड़कर करो सीता को स्वीकार,
राजा भूपति…॥
गुरु आज्ञा से राम ने धनुष बाण कौ जब तोड़ा,
राजाओं ने द्वेष से अपना मुख मोड़ा।
हर्षित है राजा जनक सीता को करते दुलार,
राजा भूपति…॥
परिणय सीताराम का है मिथिला के दरबार,
दूल्हा बन गए राम जी, गले मोतियन हार।
रीत हुई जय माल की राजा जनक के द्वार,
राजा भूपति…॥
परिचय- डॉ. गायत्री शर्मा का साहित्यिक नाम ‘प्रीत’ है। २० मार्च १९६५ को इन्दौर में जन्मीं तथा वर्तमान में स्थाई रुप से इन्दौर (मध्यप्रदेश )में रहती हैं। आपको हिंदी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. (अर्थशास्त्र) तक शिक्षित डॉ. शर्मा का कार्य क्षेत्र-गृहिणी का है,तो सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर समाज के लिए कार्य करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं में पदों पर रहते हुए आप भारतीय कला,संस्कृति व समाज के लिए काम कर रही हैं। कई समाचार पत्र-पत्रिका में इनकी अनवरत रचनाओं का अनवरत प्रकाशन हो रहा है। सम्मान-पुरस्कार में विद्या वाचस्पति सम्मान, सुलोचिनी लेखिका पुरस्कार सहित कोरबा के जिलाधीश से सम्मान प्राप्त हुआ है तो कई संस्थाओं से भी अनेक बार अखिल भारतीय सम्मान मिले हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं से सम्मान,आकाशवाणी से कविता का प्रसारण औऱ अभा मंचों पर काव्य पाठ का अवसर प्राप्त होना है। डॉ. गायत्री की लेखनी का उद्देश्य-समाज और देश को नई दिशा देना,देश के प्रति भक्ति को प्रदर्शित करना,समाज में फैली बुराइयों को दूर करना, एक स्वस्थ और सुखी समाज व देश का निर्माण करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली डॉ. शर्मा कै लिए प्रेरणापुंज-तुलसीदास जी,सूरदास जी हैं । आपकी विशेषज्ञता-गीत,ग़ज़ल,कविता है।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“देश प्रेम व हिंदी भाषा के प्रति हमारे दिल में सम्मान व आदर की भावना होना चाहिए। मेरा देश महान है। हमारी कविताओं में भी देश प्रेम की भावना की झलक होनी चाहिए। हिंदी के प्रति मन में अगाध श्रद्धा हो,अंग्रेजी को त्याग कर हिंदी को अपनाना चाहिए।”