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जय श्री राधेकृष्णा शरणम

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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हलचल मथुरा में मची,जाने क्या हो आज।
कलरव कोलाहल रचा कंस सजे क्यों साज॥

सृजन देवकी पीर में,ईश्वर रख लो लाज।
लाल बचा वसुदेव का,क्यों इतने नाराज॥

सात पूत की माँ बनी,उजड़ी मेरी कोख।
पूत बचा है शुभ घड़ी,ना हो अब ये दोख॥

मेघ फटा क्रंदन हुआ,वर्षा मूसलाधार।
कड़ी खुली फिर जेल की,सोये पहरेदार॥

सरवर फूटा धैर्य का,देखो मचा बवाल।
प्रकट हुआ प्रभु चक्र धर,अंत करुण अब काल॥

मनुज रूप धारण किये,दुष्ट दलन भगवान।
मंगल शुभ छाये हुये,बजे बाँसुरी तान॥

चूमी यमुना जल चरण,दिवा रात्रि मधुमास।
हर उपवन मधुबन हुआ,हरि आने की भास॥

आये फिर अब नन्द घर,कान्हा को वसुराज।
उत्सव गोकुल में हुए,गिरी कंस पर गाज॥

विविध भांति रचना किये,दुष्ट मारने लाल।
चित विचित्र लीला रची,बने बाल गोपाल॥

परम शक्ति राधा बनी,प्रेम वेणु हथियार।
जीत गये जग बाँसुरी,दुनिया है दिल हार॥

दुष्ट मरे दानव सभी,तारण मोहन हाथ।
गूढ़ ज्ञान गीता बने,नत है हम हे! नाथ॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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