अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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बसंत पंचमी विशेष….
महकने लगी अमराई मन की,
चली मस्त पुरवाई,आया वसंत राज,
उदास मन में फूटी कोपल,
बजने लगा मन का साज।
उमंगें-उम्मीदें हुई फिर जवां,
बासंती धुन में हुआ मन मयूर
मंद बयार से महकी साँसें,
देख पलाश मन हर्ष से चूर।
कोयलिया भी गाने लगी,
हर धुन मन लुभाने लगी
सजे है देखो धरा-गगन भी,
उड़े भँवरा,कली मुस्काने लगी।
लो आया बसंत,पतझड़ का अंत,
खिल उठे रंग,पीली सरसों भी।
चहक रहा है कोना-कोना,
जिंदगी मुस्काई,आ जाओ संग भी॥