डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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ज्ञान एक अनमोल खजाना,
जो लिखना-पढ़ना सिखाए
जितना दान करो ये खजाना,
उतना ही बढ़ता ये जाए।
ज्ञान ज्योति से प्रज्वलित
मन, अन्धियारा दूर भगाए
सत्य असत्य का भेद बता,
जीवन-राह सुगम बनाए।
कला उपजता अभिव्यक्ति की,
व्यक्तित्व निर्माण करती है
ज्ञान की खुशबू फैला कर,
सुन्दर समाज भी गढ़ती है।
ज्ञान से ही विकास सम्भव,
सम्भव है आविष्कार भी
अच्छे रोजगार भी देता है,
सम्भव है राष्ट्र विकास भी।
चारित्रिक विकास ये करता,
संस्कार हमें सिखलाता है
आध्यात्मिक हो या धार्मिक,
जीवन के रहस्य बताता है।
ज्ञान है अनमोल खजाना,
कोई चोर ना इसे चुराए
ना छीने ना झपटे कोई,
छलिया भी ना छल पाए।
ज्ञान की गंगा में जो डूबा,
उसका चमका भाग्य सितारा।
रहा किनारे जो मनुज बैठा,
निकला किस्मत का मारा॥