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ढलता दिसम्बर

बबीता प्रजापति 
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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साल बदले,
सवालात बदल जाते हैं
ढलते दिसम्बर में ख्यालात,
बदल जाते हैं।

हर्फ पिघले,
तो पिघल जाता दिल भी
इस ढलते साल में,
जज़्बात बदल जाते हैं।

ये होंठों ने ओढ़ रखी है,
चुप्पी बर्फ-सी
खिलखिलाती धूप-सी,
हँसी देखकर
दिलों के सारे ताल्लुकात, बदल जाते हैं।

ख्याल रखा कीजिए,
अपनों के जज़्बातों का।
छोटी-छोटी बातों से,
दिसम्बर जैसे
हालात बदल जाते हैं॥