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मानवता अपनाना सीखो

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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ये! सत्ता मद के मतवालों,
मानवता अपनाना सीखो।
हिन्दुस्तानी दिल-दिमाग से,
हिंदुस्तान बनाना सीखो॥

झट अमीर बनकर के सारी,
दुनिया का सुख चखने वालों।
पश्चिम की आंधी में बहकर,
अपना वतन बेचने वालों॥
जिसे सिर्फ़ ‘इंडिया’ नजर,
आता है अपने इस भारत में।
नहीं उसे है रहने का अधिकार,
हमारे इस भारत में।
भारत में यदि रहना है तो,
‘भारतीय’ कहलाना सीखो॥
हिन्दुस्तानी दिल-दिमाग से,
हिंदुस्तान बनाना सीखो…॥

शोषण, उत्पीड़न के अड्डे,
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर में।
हेरोइन, अफीम के धंधे,
चलते गुरु गृह, पूजा घर में॥
नीति निकेतन अनाचार की,
ठेकेदारी निभा रहे हैं।
राम राज्य की बात कहाँ,
रावण की लंका बना रहे हैं॥
विकृत विचारों को दफनाकर,
सद विचार अपनाना सीखो।
हिन्दुस्तानी दिल-दिमाग से,
हिंदुस्तान बनाना सीखो…॥

जो केवल चिन्हों की भाषा,
सिर्फ़ इशारों से समझे हैं।
जहर बुझी छुरी लेकर के,
घूम रहे बाजारों में हैं॥
जिन्हें नहीं कुछ लेना-देना,
संस्कृति, रीति-रिवाजों से है।
कुचल रहे हैं नीति, निपुणता,
विषयायी उन्मादों से है॥
छीन, झपट कर खाने वालों,
मेहनत करके खाना सीखो।
हिन्दुस्तानी दिल-दिमाग से,
हिंदुस्तान बनाना सीखो…॥

अस्मत की होती नीलामी,
संवेदन मन बहक गया है।
वोट बैंक की कुटिल चाल का,
दंश, देश अब झेल रहा है॥
उचित नहीं है आपस में ही,
लड़, कट करके मर जाने का।
सभ्य व्यक्ति का काम नहीं है,
रक्त-पात में रम जाने का॥
यदि तुम पुष्प चाहते हो तो,
काँटों को अपनाना सीखो।
हिन्दुस्तानी दिल-दिमाग से,
हिंदुस्तान बनाना सीखो…॥

दिव्य प्राण के अंशज होकर,
क्यों निष्प्राण हुए जाते हो ?
कुत्सित, कुंठाओं में फँसकर,
क्यों विषपान किए जाते हो ?
जो भी ज्ञानवान होते हैं,
हरदम अलग दिखा करते हैं।
‘पर हित सरिस धरम नहि भाई’,
इसके लिए जिया करते हैं॥
जुल्म-ज्यादती, छल थम जाए,
वह ललकार लगाना सीखो।
हिन्दुस्तानी दिल-दिमाग से,
हिंदुस्तान बनाना सीखो…॥

सदा उछलते रहो व्यथा से,
विपदाओं से मत घबराओ।
क्रूर प्रथाओं की छाती पर,
चढ़कर झंझावात मचाओ॥
अंधकार को चीड़-फाड़ कर,
किरणों का नर्तन करवाओ।
महलों से लेकर कुटिया तक,
आशा का दिनमान उगाओ॥
काल चक्र के कुटिल भाल पर,
नव इतिहास बनाना सीखो।
हिन्दुस्तानी दिल-दिमाग से,
हिंदुस्तान बनाना सीखो…॥

जाति, पंथ, मजहब के सारे,
गोरखधंधे बंद करो अब।
सभी नागरिक एक बराबर,
यह आवाज बुलन्द करो अब॥
देश एक, कानून एक हो,
एक समान नागरिकता हो।
सत्य, न्याय आधारित शासन,
संवैधानिक समरसता हो॥
स्वस्थ बुद्धि के नव चिंतन से,
मन का दीप जलाना सीखो।
हिन्दुस्तानी दिल-दिमाग से,
हिंदुस्तान बनाना सीखो…॥

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।