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तुलसी शोभा आँगन की

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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हे माता तुलसी हम सबके गृह में आपका ऊँचा स्थान है,
हे महारानी तुलसी आपका ऊँचा स्थान मन्दिर समान है।

सन्त कहते हैं-जैसे घरों में बिटिया से शोभा बढ़ती है,
हे तुलसी रानी आपसे भी घर-आँगन की शोभा बढ़ती है।

हे तुलसी, आपका शुभ विवाह का दिन है आज पावन,
हे तुलसी आज आँगन की शोभा लग रही है सुहावन।

धारण करिए हे तुलसी, लाल चुनर लाल लहठी सिन्दूर,
सखियाँ शुभ विवाह गीत गाती हैं, आशीष दीजिए सिन्दूर।

हे महारानी तुलसी, आप तो शोभा हो हमारे आँगन की,
हरियाली खुशियाँ भरी रहती है आपसे, प्राँगण की।

हे माता तुलसी आप वरदायिनी हो, सुख को देने वाली,
हे कृष्ण प्यारी, नारियों का अमर सुहाग हो करने वाली।

हिन्दुओं के घर, माता तुलसी आपकी पूजा होती है,
गृहिणी संध्या बेला में आपको ज्योति दिखाती है।

धरा के हरेक पुरुष-नारी, प्रातः शुद्ध जल से सींचते हैं।
धूप, दीप, नैवेद सभी आपको अर्पण, नित्य करते हैं॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |

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