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तेजोमयी कूष्माण्डा

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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भाग-४…

कूष्माण्डा चतुर्थ शक्ति,
प्राणियों से आसक्ति
हास्य से रचे ब्रह्माण्ड,
सूर्यलोक में वास।

माँ की प्रभा आलौकित,
दस दिशा प्रकाशित
अष्ट भुजाएं धारिणी,
जगाती है विश्वास।

कूष्माण्डा सिंहवाहिनी,
निधि-सिद्धि दें, तारिनी
शस्त्राणि, सुधा कलश,
रोग-भय विनाश।

वस्त्र पहने धूसर,
चमेली को पग धर
कुम्हडे़ की बलि देंवे,
भक्त न हो उदास।

आधि-व्याधि से विमुक्ति,
त्रिलोक में दें उन्नति
सुगम जीवन मार्ग,
बनो माई के दास॥