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दशावतार स्तुति

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

मुंगेर (बिहार)

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श्रीराम मेरे भगवान मेरे,
नित-नित मैं जपूँ बस नाम तेरे
काशी में रहूँ या रहूँ मैं कहीं,
प्रभु आप रहें स्मरण में मेरे।

असुरों ने जब अत्याचार किया,
धर्म-कर्म को उसने नाश दिया
तब लेकर नव-नव अवतार प्रभु,
आपने असुरों का संहार किया।

जब दैत्य ने वेद चुरा लिया,
और ज्ञान का दीप बुझा दिया
वेदों को ढूँढने के खातिर,
मत्स्य रूप तब प्रभु ने लिया।

देवों पर हरि ने उपकार किया,
पृष्ठ पर मथनी को बाँध लिया
क्षीरसागर मंथन करने को,
प्रभु कच्छप रूप अवतार लिया।।

जब हिरण्याक्ष ने घोर पाप किया,
पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया
तब वराह रूप धर प्रभु आपने,
पृथ्वी को समुद्र से निकाल दिया।

हिरण्यकश्यप ने अनाचार किया,
अपने पुत्र को घोर कष्ट दिया
तब प्रह्लाद की रक्षा के खातिर,
प्रभु आपने नृसिंह अवतार लिया।

प्रभु आपने अद्भुत काम किया,
तीन कदम में लोक नाप लिया
राजा बलि का मद तोड़ने को,
वामन रूप में अवतार लिया।

प्रभु धृष्ट क्षत्रियों का नाश किया,
वैदिक संस्कृति का विस्तार किया
प्राकृतिक सौंदर्य जीवंत रहे,
परशुराम रूप में अवतार लिया।

अंहकारी रावण का वध किया,
मर्यादित जीवन का संदेश दिया
त्याग और तप का अर्थ बताने,
श्रीराम रूप में अवतार लिया।

शक्ति का संतुलन बिगड़ गया,
और मानव हो गया बेहया
धर्म की स्थापना के खातिर,
तब श्रीकृष्ण ने अवतार लिया।

दुष्टों ने जब-जब पाप किया,
धर्म का जब भी नाश किया।
जीवन का मर्म बताने को,
ईश ने बुद्ध अवतार लिया॥